प्रेग्नेंट होने के शुरुआती लक्षण Symptoms of pregnant

प्रेग्नेंट होने के शुरुआती लक्षण-


प्रेग्नेंसी टेस्ट करने के लिए बाजार में कई तरह के उपकरण मौजूद हैं लेकिन गर्भ धारण करने के साथ ही शरीर में कई तरह के बदलाव शुरू हो जाते हैं. चाहें तो इन शुरुआती लक्षणों से जान सकती हैं कि आप गर्भवती हैं या नहीं.

वैसे तो प्रेग्नेंसी टेस्ट करने के लिए बाजार में कई तरह के उपकरण और दवाइयां मौजूद हैं लेकिन गर्भ धारण करने के साथ ही महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव शुरू हो जाते हैं.

आप चाहें तो इन शुरुआती लक्षणों से जान सकती हैं कि आप गर्भवती हैं या नहीं. ये बताना जरूरी है कि ये सिर्फ लक्षण हैं. हो सकता है कि जो लक्षण दिखाई दे रहे हैं वो किसी दूसरी वजह से हों.

1. हैवी ब्रेस्ट
ये एक बेहद सामान्य लक्षण है. दरअसल, ब्रेस्ट के ऊतक हॉर्मोन्स के प्रति अति संवेदनशील होते हैं. गर्भ धारण करने के साथ ही शरीर में हॉर्मोनल चेंज होना शुरू हो जाते हैं. इससे ब्रेस्ट में सूजन आ जाती है या फिर भारीपन आ जाता है.

2. निपल का रंग
क्या आपको आपके निपल कुछ अलग दिख रहे हैं? गर्भावस्था के दौरान होने वाले हॉमोर्नल चेंज से melanocytes प्रभावित होती हैं. यानी इसका प्रभाव उन कोशिकाओं पर पड़ता है जो निपल के रंग के लिए उत्तरदायी होती हैं. गर्भ धारण करने पर निपल का रंग गहरा हो जाता है.

3. मितली आना और उल्टी होने जैसा लगना
गर्भावस्था में दिन की शुरुआत काफी बोझिल होती है. सुबह उठकर कमजोरी लगती है और मितली आती है. कई बार कुछ खाने पर उल्टी जैसा महसूस होने लगता है.

4. जल्दी-जल्दी टॉयलेट जाना
क्या आप अब पहले की तुलना में ज्यादा बार टॉयलेट जाने लगी हैं? ऐसे समय में किडनी ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं, जिससे बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता है.

5. क्रेविंग
क्रेविंग भी गर्भवती होने का एक प्रमुख लक्षण है. गर्भवती महिला में किसी विशेष चीज के प्रति आकर्षण बढ़ जाता है और हर वक्त वही खाने का दिल करने लगता है. कई बार ऐसा भी होता है कि इस दौरान महिला की डेली डाइट अचानक से बढ़ जाती है.

6. सिर दर्द
ब्लड वॉल्यूम बढ़ जाने की वजह से सिर में दर्द रहने लगता है. ये गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक प्रमुख लक्षण है. पर धीरे-धीरे ये खुद ही ठीक हो जाता है.

7. कब्ज की शिकायत हो जाना
हॉर्मोनल चेंज होने की वजह से पाचन क्रिया पर भी असर पड़ता है. पाचन क्रिया थोड़ी धीमी हो जाती है. ऐसे में महिला को अक्सर कब्ज की शिकायत रहने लगती है.

8. शरीर का तापमान और मूड
गर्भवती होने पर शरीर का तापमान अक्सर सामान्य तापमान से अधिक बना रहता है. इतना ही नहीं इस दौरान समय-समय पर मूड भी बदलता रहता है. कभी कोई चीज अच्छी लगने लगती है तो कभी उसी चीज से नफरत हो जाती है.


प्रेग्नेंसी के पहले महीने में बच्चे का विकास और आकार

प्रेग्नेंसी के पहले महीने से ही गर्भ में शिशु के विकास की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। नीचे इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया गया है:

निषेचन की प्रक्रिया

शुक्राणुओं और अंडाणुओं का मिलन निषेचन कहलाता है। निषेचन की प्रक्रिया संभोग के दो से तीन दिन बाद शुरू हो सकती है। इस प्रक्रिया के शुरुआती चरण में शुक्राणुओं और अंडाणुओं के मिलन से एक युग्म बनता है। इस युग्म को अंग्रेज़ी में ‘ज़ाइगोट’ कहते हैं।

प्रत्यारोपण की प्रक्रिया

निषेचन के बाद प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू होती है। इस प्रक्रिया में ज़ाइगोट फ़ैलोपियन ट्यूब से होकर गर्भाशय में पहुंचता है। चौथे से छठे दिन के बीच यह ज़ाइगोट कई कोशिकाओं में विभाजित हो जाता है। इसके बाद ये कोशिकाएं इकट्ठा होकर गेंद जैसा आकार ले लेती हैं। इसे ‘ब्लास्टोसिस्ट’ कहते हैं। अगर यह ‘ब्लास्टोसिस्ट’ दो से तीन दिन में गर्भाशय की दीवार से चिपक जाए, तो प्रत्यारोपण की प्रक्रिया सफलता के साथ पूरी हो जाती है।

भ्रूण का विकास

निषेचित अंडे विकसित होने पर एमनियॉटिक सैक का निर्माण होता है। इस दौरान प्लेसेंटा भी विकसित होने लगती है। बात की जाए शिशु के विकास की, तो इस दौरान चेहरा बनना शुरू होगा। आंखों की जगह काले घेरे नज़र आएंगे। इस दौरान शिशु का निचला जबड़ा और गला बनना शुरू होगा। वहीं, रक्त कोशिकाएं बनकर रक्त संचार शुरू होगा। चौथे सप्ताह के अंत तक शिशु का दिल एक मिनट में 65 बार धड़कने लगेगा। इस महीने के अंत तक शिशु ¼ इंच का हो जाएगा, जो चावल के दाने से भी छोटा होगा। 


प्रेग्नेंसी के पहले महीने के लिए आहार

प्रेग्नेंसी की शुरुआत होने पर गर्भवती महिला को ज़्यादा मात्रा में पोषक तत्वों की ज़रूरत पड़ती है। इस बढ़ती ज़रूरत को पूरा करने के लिए, उन्हें निम्निलिखित चीज़ों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए:


प्रेग्नेंसी के पहले महीने में क्या खाएं?

  • प्रेग्नेंसी की शुरुआत में गर्भवती महिला को फ़ोलेट से भरपूर खाद्य पदार्थों, जैसे- ब्रोकली व संतरा आदि का सेवन करना चाहिए।
  • गर्भवती को गर्भधारण करते ही विटामिन-बी6 से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे- केला, साबूत अनाज व सूखे मेवे खाने शुरू कर देना चाहिए।
  • गर्भावस्था की शुरुआत में फ़ाइबर युक्त फलों का सेवन करना चाहिए। इस दौरान गर्भवती को दिन में कम से कम तीन तरह के फल खाने चाहिए।
  • दूध से बने उत्पादों या केवल दूध के सेवन को भी गर्भावस्था के पहले महीने में बहुत फ़ायदेमंद माना जाता है।
  • अगर गर्भवती मांसाहारी हैं, तो उसे मांस का सेवन जारी रखना चाहिए। उसे कम पारे वाले समुद्री भोजन के अलावा ठीक से पका हुआ मांस खाने की सलाह दी जाती है।
  • गर्भवती को प्रेग्नेंसी की शुरुआत में आयरन से भरपूर आहार, जैसे- पालक व चुकंदर को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।
  • गर्भावस्था की शुरुआत होने पर गर्भवती के शरीर को अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट की ज़रूरत पड़ती है। इसके लिए उन्हें शर्करा वाली चीज़ों को अपने खान-पान में शामिल करना चाहिए।


प्रेग्नेंसी के पहले महीने में क्या ना खाएं?

प्रेग्नेंसी की शुरुआत में कुछ चीज़ों को खाने से गर्भवती महिला और उसके भ्रूण को नुकसान हो सकता है। नीचे हम कुछ ऐसी चीज़ों के नाम बताने जा रहे हैं, जिनसे गर्भवती महिला को परहेज करना चाहिए:

  • समुद्री भोजन: गर्भवती को केवल कम पारे वाला समुद्री भोजन ही करना चाहिए। भोजन में पारे का स्तर ज़्यादा होने पर भ्रूण को नुकसान हो सकता है।
  • सॉफ़्ट चीज़: गर्भवती महिला को गर्भधारण करने के बाद, पाश्चराइज्ड दूध से बने चीज़ को खाने से परहेज करना चाहिए। ऐसे चीज़ में हानिकारक बैक्टीरिया होने से भोजन विषाक्तता होने का खतरा रहता है। 
  • पैकेट वाली चीज़ें: गर्भवती को प्रेग्नेंसी की शुरुआत में डिब्बाबंद चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही, माइक्रोवेव में बनाई गई चीज़ें, जैसे- केक, बिस्कुट आदि से भी परहेज करना चाहिए।
  • कच्चा मांस और कच्चे अंडे: कच्चे मांस और कच्चे अंडे में सालमोनेला और लिस्टेरिया नाम के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। ये बैक्टीरिया भ्रूण पर बुरा असर डाल सकते हैं। इसलिए, गर्भवती महिला को कच्चे मांस या अंडे का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • कच्चा पपीता और अनानास: गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में कच्चा पपीता और अनानास खाने से बचना चाहिए। प्रसव के बाद इन फलों को खाया जा सकता है।
  • जंक फ़ूड और शराब: गर्भावस्था के दौरान जंक फ़ूड, शराब व तंबाकू का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा गर्भवती को कैफ़ीन वाली चीज़ें, जैसे- चाय, कॉफ़ी व चॉकलेट का सेवन कम कर देना चाहिए।

नोट: अपनी सुविधा के लिए गर्भवती को डॉक्टर से सलाह लेकर एक डाइट चार्ट बनाना चाहिए।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. क्या गर्भावस्था के पहले महीने के दौरान संभोग करना सुरक्षित है?

हां, अगर आपको पहले कभी गर्भपात या प्रीमैच्योर डिलीवरी जैसी समस्या नहीं हुई है, तो आप गर्भावस्था के दौरान सेक्स कर सकते हैं। फिर भी एक बार इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।

2. प्रेग्नेंसी की शुरुआत में रक्तस्राव का क्या मतलब हो सकता है?

प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भ में भ्रूण के प्रत्यारोपण के कारण रक्तस्राव हो सकता है। इसलिए ऐसा होने पर घबराना नहीं चाहिए। फिर भी रक्तस्राव होने पर अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी देनी चाहिए। 

3. क्या गर्भावस्था के पहले महीने में पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है?

हां, गर्भावस्था के पहले महीने में पेट के निचले हिस्से में दर्द हो सकता है। यह दर्द गर्भ में भ्रूण के प्रत्यारोपित होने की वजह से होता है। आमतौर पर एक से दो दिन में यह दर्द चला जाता है।


हम उम्मीद करते हैं कि इस लेख में आपको गर्भावस्था के पहले महीने से जुड़ी सारी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर अब भी आपके मन में कोई सवाल है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में उसे ज़रूर लिखें।


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